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बरहटा सचिव चिंतामणि पटेल निलंबित: लापरवाही के चलते जिला पंचायत सीईओ ने की कार्रवाई

written and edited by : Adil Aziz अगस्त 17, 2024

कटनी (17 अगस्त) - ग्राम पंचायतों के सुचारू संचालन और जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। जब ये अधिकारी अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं करते हैं, तो इसका सीधा असर उन योजनाओं पर पड़ता है, जो गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए चलाई जाती हैं। इसी क्रम में, कटनी जिले की ग्राम पंचायत बरहटा के सचिव चिंतामणि पटेल को उनके कर्तव्यों में लापरवाही के चलते निलंबित कर दिया गया है। जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत ने यह कार्रवाई की है, जिससे पंचायतों के संचालन में अनुशासन की महत्ता को रेखांकित किया गया है।

लापरवाही का मामला: क्या हैं आरोप?

चिंतामणि पटेल पर आरोप है कि वे ग्राम पंचायत बरहटा के मुख्यालय से 15-15 दिनों तक अनुपस्थित रहते थे। उनके इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण राज्य और केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न हुई। इसके परिणामस्वरूप, पात्र हितग्राहियों को समय पर योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया।

इसके अलावा, हाल ही में आयोजित हर घर तिरंगा अभियान के दौरान भी पटेल की लापरवाही सामने आई। वे देश के 15 अगस्त 2024 को स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय पर्व में भी अनुपस्थित रहे। ग्राम पंचायत मुख्यालय पर निवास न करने के आरोप भी उनके खिलाफ लगे।

निलंबन की प्रक्रिया और आदेश

जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत ने सभी आरोपों की जांच के बाद चिंतामणि पटेल को मध्य प्रदेश पंचायत सेवा (अनुशासन तथा अपील) नियम 1999 के नियम 4 के अंतर्गत निलंबित करने का आदेश जारी किया। निलंबन के दौरान पटेल का मुख्यालय जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा नियत किया गया है, और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।

निलंबन के असर और संदेश

चिंतामणि पटेल के निलंबन से यह स्पष्ट संदेश गया है कि पंचायत सचिव जैसे पदों पर कार्यरत अधिकारियों को अपने दायित्वों का पूर्ण निष्ठा और जिम्मेदारी के साथ निर्वहन करना चाहिए। यदि वे अपने कर्तव्यों से विमुख होते हैं, तो इसका खामियाजा न केवल उन्हें भुगतना पड़ता है, बल्कि इसका दुष्प्रभाव उन जनकल्याणकारी योजनाओं पर भी पड़ता है, जिनसे सैकड़ों लोगों का जीवन संवर सकता है।

पंचायतों में अनुशासन की आवश्यकता

ग्राम पंचायतें ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये वह इकाइयाँ हैं, जिनके माध्यम से सरकार की योजनाएँ और नीतियाँ सीधे जनता तक पहुंचती हैं। इसलिए पंचायत सचिवों और अन्य अधिकारियों को अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से करना आवश्यक है। इस तरह के निलंबन से पंचायतों में अनुशासन की आवश्यकता को और अधिक मजबूती मिलती है, ताकि अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन बेहतर तरीके से कर सकें।

जनता का भरोसा कायम करना

इस तरह की कार्रवाई से जनता का भरोसा भी पंचायतों पर बढ़ता है। जब जनता देखती है कि सरकार अपने अधिकारियों से कड़ी मेहनत और पारदर्शिता की अपेक्षा रखती है, तो उनका विश्वास बढ़ता है। यह विश्वास पंचायतों और सरकार के बीच के संबंधों को और मजबूत करता है।

निष्कर्ष: लापरवाही बर्दाश्त नहीं

चिंतामणि पटेल के निलंबन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी सेवाओं में लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पंचायत सचिव जैसे पदों पर आसीन व्यक्तियों को यह समझना होगा कि वे सिर्फ एक कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि वे उन योजनाओं के क्रियान्वयन के प्रमुख कड़ी हैं, जो समाज के विकास और उत्थान के लिए आवश्यक हैं। उन्हें अपने कार्यों में पूरी निष्ठा और ईमानदारी बरतनी चाहिए, ताकि सरकार की योजनाएँ अपने लक्ष्य तक पहुंच सकें और आम जनता को उनका लाभ मिल सके।

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