तिलक कॉलेज में छात्रों के आक्रोश ने पकड़ा जोर, एनएसयूआई के समर्थन से सफल हुआ आंदोलन
written & edited by : ADIL AZIZ
कटनी का तिलक कॉलेज, जो जिले के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में गिना जाता है, हाल ही में छात्रों के आंदोलन का केंद्र बन गया है। अनेकों समस्याओं से जूझ रहे छात्रों का धैर्य अब टूट चुका है, और उन्होंने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की है। छात्रों का यह आंदोलन तब और प्रभावी हो गया जब एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने भी उनका समर्थन किया। छात्रों द्वारा प्राचार्य कक्ष के बाहर धरना और तालाबंदी कर अपनी मांगों को सामने रखा गया।
छात्रों के आक्रोश की वजह: तिलक कॉलेज के छात्रों का आक्रोश कई महीनों से पनप रहा था। मुख्य समस्याओं में प्रवेश प्रक्रिया में देरी, मेधावी छात्रों की स्कॉलरशिप में हीलाहवाली, छात्रवृत्ति में देरी, केंटीन और छात्रावास की सेवाओं में देरी, और प्रदेश सरकार के आदेशों के बावजूद फीस में अनियमितता शामिल हैं। इन समस्याओं ने छात्रों को मजबूर कर दिया कि वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाएं।
एनएसयूआई का समर्थन: एनएसयूआई, जो कि छात्रों की प्रमुख राजनीतिक इकाई है, ने भी इस आंदोलन में छात्रों का समर्थन किया। पूर्व तिलक कॉलेज अध्यक्ष अजय खटिक और अभिषेक प्यासी ने छात्रों के आक्रोश को अपनी आवाज दी और आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका कहना था कि छात्रों की समस्याओं का समाधान करने में कॉलेज प्रशासन और सरकार दोनों ही असफल रहे हैं, और यह आंदोलन उनके अधिकारों की लड़ाई है।
प्रदर्शन का रूप: छात्रों ने तिलक कॉलेज के प्राचार्य कक्ष के समक्ष धरना दिया और नारेबाजी की। उन्होंने प्राचार्य कक्ष के बाहर तालाबंदी कर अपनी माँगों को ज़ोरदार तरीके से उठाया। छात्रों की संख्या बढ़ती देख और स्थिति को गंभीर होते देख, स्थानीय पुलिस बल ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने की कोशिश की।
प्रशासन की प्रतिक्रिया: प्रदर्शन के दौरान, तहसीलदार बीके मिश्रा और प्राचार्य सुधीर खरे ने छात्रों से बातचीत की। स्थिति को शांत करने के लिए, उन्होंने छात्रों को लिखित में आश्वासन दिया कि उनकी मांगों का समाधान किया जाएगा। लिखित आश्वासन के बाद, छात्रों ने अपना धरना समाप्त किया।
मूल समस्याओं की जड़: छात्रों की प्रमुख समस्याओं में प्रवेश प्रक्रिया की देरी प्रमुख है, जो 20 अगस्त से शुरू होनी थी, लेकिन अब तक शुरू नहीं हो सकी। इसके अलावा, मेधावी छात्रों की स्कॉलरशिप में हो रही देरी ने भी छात्रों के धैर्य को तोड़ दिया है। छात्रवृत्ति की अनियमितता और केंटीन एवं छात्रावास की सेवाओं में हो रही देरी भी छात्रों के आक्रोश की प्रमुख वजह हैं।
फीस में अनियमितता: छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार के आदेश के बावजूद कॉलेज प्रशासन 50% फीस के बजाय 90% फीस वसूल रहा है। यह फीस वसूली का मुद्दा छात्रों के लिए गंभीर समस्या बन गया है, और उन्होंने इसे आंदोलन का एक प्रमुख मुद्दा बनाया।
भविष्य की योजनाएं: एनएसयूआई ने साफ किया है कि यदि प्रशासन अपनी बातों पर खरा नहीं उतरता है, तो वे इस आंदोलन को और भी व्यापक स्तर पर ले जाएंगे। उनका कहना है कि छात्रों के हक की लड़ाई में वे पीछे नहीं हटेंगे और जरूरत पड़ने पर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
छात्रों की उपस्थिति: धरना प्रदर्शन के दौरान, छात्रों की उपस्थिति भी भारी रही। शशांक गुप्ता, सौरभ पांडेय, प्रिंस वंशकर, कमल पाण्डेय, अभिषेक प्यासी, ऋषि सिन्हा, प्रज्वल साहू, अनुराग पटेल, रंजीत सिंह, प्रवीण सिंह, अलाम खान, अनूप ठाकुर, आदित्य ठाकुर, जगत सिंह, तेजस्वी गुप्ता, निखिल त्रिपाठी, ऋषभ परोहा समेत बड़ी संख्या में छात्रों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
निष्कर्ष: तिलक कॉलेज में छात्रों का यह आंदोलन न सिर्फ उनके अधिकारों की मांग है, बल्कि यह प्रशासन और सरकार के लचर रवैये के खिलाफ एक सख्त संदेश भी है। छात्रों का आक्रोश और एनएसयूआई का समर्थन यह दर्शाता है कि जब मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जाता है, तो युवा वर्ग अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हटता। इस आंदोलन ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर प्रशासन समय रहते छात्रों की मांगों पर ध्यान नहीं देगा, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
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