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उड़ते बादलों के टुकड़ों से पानी की कुछ बूंदें हथेलियों पर पा लेने का अहसास है कविता

पत्रकार और कवयित्री स्मृति आदित्य की किताब ‘हथेलियों पर गुलाबी अक्षर’ का विमोचन वामा साहित्य मंच के बैनर तले हुआ। शुक्रवार को एक हुए आयोजन में मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे मुख्य अतिथि थे। चर्चाकार के रूप में साहित्यकार ज्योति जैन शामिल हुईं। स्मृति ने कहा कि कविता मेरे लिए मन के प्रबलतम भावों को कागज़ पर रख देना ही मात्र नहीं है...मैं कविता को उड़ते बादलों के टुकड़ों से पानी की बूंदें हथेली पर पा लेने जैसा अहसास मानती हूं...। किताब पर चर्चा करते हुए ज्योति जैन ने कहा कि जब एक स्त्री प्रेम करती है तो प्रेम में डूबती है ,वह नाचती भी है गाती भी है। उसकी कविताओं में कभी मोर नाचता है तो कभी झरना बहता है। डॉ. दवे ने कहा कि स्मृति की कविताओं में मिलेजुले रंग हैं...भावनाएं हैं और रिश्ते को जी लेनी का अहसास है। इससे पूर्व इंदु पाराशर ने स्वागत उद्बोधन दिया। सरस्वती वंदना संगीता परमार ने प्रस्तुत की। अतिथिद्वय सहित आर्टिस्ट सारंग क्षीरसागर का स्वागत मंजु मिश्रा, डॉ. भारती जोशी, प्रदीप व्यास, क्षितिज कनिक, डॉ. किसलय पंचोली आदि ने किया। संचालन डॉ.अंजना चक्रपाणि मिश्र ने किया।

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