कटनी में इस साल अब तक 9% अधिक औसत वर्षा दर्ज — रीठी तहसील में सबसे ज्यादा 1500.6 मिमी बारिश
(Written & Edited By : आदिल अज़ीज़ — जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ | PUBLIC SAB JANTI HAI | Email : publicnewsviews1@gmail.com)
🌧️ कटनी जिले में इस वर्ष हुई रिकॉर्ड बारिश, किसानों के चेहरे खिले
कटनी (01 नवंबर) — मौसम की मेहरबानी से इस बार कटनी जिले में मानसून ने अच्छा प्रदर्शन किया है। जिले में इस वर्ष 1 जून से 1 नवंबर तक कुल 1184.9 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है। यह मात्रा पिछले वर्ष की तुलना में करीब 9 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष इसी अवधि में कुल 1087.1 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई थी।
इस बार की बारिश ने जहां कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया है, वहीं जलस्तर में सुधार और पर्यावरणीय संतुलन को भी मजबूत किया है।
📊 रीठी तहसील में सर्वाधिक वर्षा, स्लीमनाबाद दूसरे स्थान पर
अधीक्षक भू-अभिलेख अमृता गर्ग के अनुसार, जिले की सभी तहसीलों में इस वर्ष औसत से बेहतर वर्षा दर्ज की गई है।
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रीठी तहसील में सर्वाधिक 1500.6 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।
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स्लीमनाबाद तहसील में 1382.4 मिलीमीटर,
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कटनी तहसील में 1255.5 मिलीमीटर,
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बहोरीबंद में 1102.3 मिलीमीटर,
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ढीमरखेड़ा में 1131.4 मिलीमीटर,
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बड़वारा तहसील में 1041 मिलीमीटर,
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बरही तहसील में 1055 मिलीमीटर,
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और विजयराघवगढ़ तहसील में 1008 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।
इन आंकड़ों से साफ है कि रीठी और स्लीमनाबाद क्षेत्र इस बार मानसून के सबसे बड़े लाभार्थी रहे हैं।
🌾 अच्छी बारिश से किसानों में उमंग — फसलें हुईं हरी-भरी
कटनी जिले के ग्रामीण इलाकों में इस बार की बारिश ने कृषि क्षेत्र में नई उम्मीदें जगाई हैं। धान, मक्का, तिलहन और दलहन जैसी खरीफ फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी की संभावना है।
किसानों का कहना है कि समय पर बारिश होने से बोआई और सिंचाई दोनों में आसानी हुई। अब रबी फसलों के लिए भी मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी हुई है, जिससे गेहूं, चना और मसूर जैसी फसलों की तैयारी बेहतर होगी।
किसान सुरेश पटेल का कहना है —
“इस बार की बारिश ने खेती की लागत को कम किया है। हमें उम्मीद है कि फसलें भी अच्छी होंगी और मंडियों में दाम भी मिलेंगे।”
💧 जलस्तर में सुधार — हैंडपंप और कुएं हुए पुनर्जीवित
लगातार कई वर्षों से सूखे जैसी स्थिति झेल रहे कुछ इलाकों में इस बार की बारिश ने राहत दी है। भूजल स्तर में सुधार देखा जा रहा है।
बहोरीबंद और ढीमरखेड़ा क्षेत्र में लोग बता रहे हैं कि जिन कुओं में गर्मियों में पानी खत्म हो गया था, वे अब फिर से लबालब हैं।
नगर निगम और ग्राम पंचायतों ने भी इस वर्ष वर्षा जल संचयन के प्रयासों को बढ़ाया है, जिससे भविष्य में जल संकट से बचाव हो सकेगा।
🌦️ संतुलित वर्षा से पर्यावरण को भी मिला संबल
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार की वर्षा न केवल कृषि बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी सकारात्मक रही है।
वनों में हरियाली लौट आई है, नदियों और झरनों में प्रवाह बढ़ा है, और तापमान में भी सामान्य गिरावट देखी गई है।
कटनी क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमी अरविंद मिश्रा बताते हैं —
“बरसात की अच्छी मात्रा से शहर और गांव दोनों जगह हरियाली फैल गई है। यह जैव विविधता के लिए भी अच्छा संकेत है।”
🚜 प्रशासन की सतर्कता — खेतों और सड़कों पर नजर
भारी वर्षा के चलते कुछ इलाकों में जलभराव और सड़क क्षति की स्थिति बनी थी, जिसे जिला प्रशासन ने समय रहते नियंत्रित कर लिया।
राजस्व विभाग, नगर निगम और ग्रामीण विकास विभाग की टीमें लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में तुरंत राहत पहुंचाई जा सके।
अमृता गर्ग ने कहा कि —
“सभी तहसीलों से प्रतिदिन वर्षा रिपोर्ट एकत्र की जा रही है। इससे हमें न केवल वर्षा की स्थिति का आंकलन करने में मदद मिलती है बल्कि योजनाओं की रूपरेखा भी सटीक बनती है।”
🧭 आगामी मौसम का अनुमान — नवंबर में हल्की वर्षा संभव
मौसम विभाग के अनुसार, कटनी जिले में आगामी कुछ दिनों तक हल्की वर्षा या गरज-चमक के साथ छींटे पड़ सकते हैं। तापमान में भी थोड़ी गिरावट जारी रहने की संभावना है।
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि अक्टूबर और नवंबर के बीच की संतुलित वर्षा रबी सीजन के लिए बेहद अनुकूल होती है।
🌍 कटनी जिले की वर्षा रिपोर्ट 2025 — एक नजर में
| तहसील | औसत वर्षा (मिलीमीटर) |
|---|---|
| रीठी | 1500.6 |
| स्लीमनाबाद | 1382.4 |
| कटनी | 1255.5 |
| बहोरीबंद | 1102.3 |
| ढीमरखेड़ा | 1131.4 |
| बड़वारा | 1041 |
| बरही | 1055 |
| विजयराघवगढ़ | 1008 |
| कुल औसत वर्षा | 1184.9 मिमी (9% अधिक) |
🌈 जनहित में संदेश — पानी है तो कल है
इस बार की भरपूर वर्षा हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि जल संरक्षण ही जीवन संरक्षण है। अगर आज हम वर्षा जल को सहेजने की पहल करें, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संकट की चिंता कम होगी।
कटनी जिला प्रशासन और स्थानीय संगठनों को चाहिए कि वर्षा जल संचयन को जन अभियान बनाया जाए, ताकि हर घर, हर खेत और हर गांव में पानी का संग्रह हो सके।
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Written & Edited By : आदिल अज़ीज़
(जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ)
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