संजय पाठक : विजयराघवगढ़ विधायक की विवादों से सनी राजनीतिक यात्रा
🖋️ Written & Edited By : ADIL AZIZ
(जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ)
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कटनी जिले के विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक संजय पाठक की राजनीति विवादों से जुड़ी रही है। रेत-खनन, हवाला घोटाला, भूमि संबंधित आरोप—हर मोर्चे पर उनका नाम सुर्खियों में आया है। आइए, अब तक की उनकी विवादों से भरी राजनीतिक पारी को विश्वसनीय स्रोतों के साथ समझें।
राजनीतिक पारी की शुरुआत और दल-बदल
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संजय पाठक ने 2008 में विजयराघवगढ़ से विधायक का कार्यभार संभाला।
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2013 में कांग्रेस टिकट से जीतने के बाद, अप्रैल 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। तब से वे लगातार तीन बार विधायक चुने गए हैं—2014 बाई-पॉल में बड़े मतों से, 2018 और 2023 में भी भारी जीत के साथ Wikipedia।
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जुलाई 2016 से दिसंबर 2018 तक उन्होंने मध्य प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री का पद भी संभाला Wikipedia।
रेत-खनन और 443 करोड़ की वसूली
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एक वकील अशुतोष मनु दीक्षित द्वारा हाईकोर्ट में अवैध खनन के खिलाफ याचिका दाखिल की गई, जिसमें संजय पाठक परिवार से जुड़ी कंपनियों—Anand Mining Corporation, Nirmala Minerals, Pacific Exports—पर गंभीर आरोप लगाए गए www.ndtv.comLive Law।
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इन्हीं कंपनियों पर लगभग ₹443 करोड़ की वसूली और GST की जांच प्रस्तावित रही Navbharat Timeswww.ndtv.com।
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इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल मिश्रा ने नोट किया कि संजय पाठक ने उन्हें फ़ोन कर मामले पर चर्चा करने का प्रयास किया था—जिसके बाद जज ने खुद को केस से अलग कर लिया The Times of IndiaNavbharat TimesThe Indian ExpressHindustan Times।
हवाला और जमीन विवाद
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2017 में एक ₹500 करोड़ का हवाला घोटाला सामने आया, जिसमें संजय पाठक का नाम सामने आया। 40 फर्जी खातों में इसी राशि का लेन-देन हुआ था। जांच कर रहे SP गौरव तिवारी को अचानक ट्रांसफर कर दिया गया। विपक्ष ने उक्त मामले में गंभीर आरोप लगाए और तत्काल इस्तीफ़ा की माँग की Peoples DemocracyIndia Today।
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इसके अलावा, पश्चिम MP में विपक्ष द्वारा आरोप लगाया गया कि संजय पाठक ने उपेक्षित आदिवासी इलाकों से 795 एकड़ भूमि सस्ते दाम पर ख़रीदी—जिसकी बाज़ार कीमत ₹1,100 करोड़ से अधिक बताई गई—बैगा जनजातियों को बेवजह की ज़मीन से बेदखल करने का आरोप Peoples Democracy।
हेक्ट्रॉन भूमि विवाद (Sahara जमीन)
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जनवरी 2025 में समाजवादी पार्टी के नेता डॉ. मनोज यादव ने आरोप लगाया कि संजय पाठक ने सहारा समूह की जमीन—बेंगलुरु, भोपाल और कटनी में कुल 310 एकड़—जिसकी बाज़ार कीमत करीब ₹1,000 करोड़ थी, सिर्फ ₹90 करोड़ में खरीदी। आरोप यह भी था कि उन्होंने राहत पाने के लिए कृषि भूमि के रूप में पंजीकरण कराकर स्टाम्प ड्यूटी से बचा Bhaskar English।
पत्रकार हमला—अपहरण और धमकी
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मई 2022 में कटनी के पत्रकार रवि गुप्ता ने आरोप लगाया कि संजय पाठक और समर्थकों ने उन्हें कार में जबरन उठाकर ले जाया, पीटा, हथियारों से पिटाई की, और परिवार को यौन हमला करने की धमकी देकर मरा घोषित करने की धमकी भी दी SabrangIndia।
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पुलिस ने शुरुआती तौर पर शिकायत दर्ज नहीं की, जिससे पत्रकार को आत्महत्या की धमकी देना पड़ी ताकि मामले पर कार्रवाई हो सके SabrangIndia।
जिला प्रशासन और खनन की बंदी
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मार्च 2020 में मध्य प्रदेश शासन ने Sihora तहसील में Pathak से जुड़ी Nirmala Minerals द्वारा संचालित लोहे की खान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताते हुए बंद कर दिया था The New Indian Express।
न्यायिक हस्तक्षेप का प्रयास
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ऊपर वर्णित मामले में जस्टिस विशाल मिश्रा द्वारा खुलकर उल्लेख किया गया कि Pathak ने उन्हें संपर्क करने की कोशिश की—जज ने इसे “न्यायपालिका में हस्तक्षेप” माना और खुद को केस से दो कदम पीछे हटाया www.ndtv.comHindustan TimesThe Times of IndiaNavbharat TimesLive Law।
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वरिष्ठ अधिवक्ता अजयर गुप्ता ने इस घटना को न्यायिक अवमानना बताया और Pathak के खिलाफ FIR दर्ज करने की माँग भी की Bhaskar English।
विवादों की लंबी पारी—संक्षेप में
| विवाद / घटना | संक्षेप विवरण |
|---|---|
| दल-बदल | कांग्रेस → भाजपा (2014) |
| हवाला घोटाला | ₹500 करोड़, 40 फर्जी खातों का मामला (2017) |
| अवैध खनन | ₹443 करोड़ वसूली, जज से संपर्क का आरोप (2025) |
| आदिवासी भूमि अधिग्रहण | 795 एकड़, ₹1,100 करोड़ बाज़ार मूल्य का आरोप |
| Sahara जमीन विवाद | 310 एकड़ जमीन ₹90 करोड़ में अधिग्रहण |
| पत्रकार हमला | अपहरण और धमकी की शिकायत (2022) |
| खान बंदी | Sihora लोहे की खान SC आदेश उल्लंघन के चलते बंद |
| न्यायिक हस्तक्षेप | जज से संपर्क की कोशिश, जज ने खुद को केस से अलग किया |
संजय पाठक की राजनीतिक यात्रा विवादों से परिपूर्ण रही है—राजनीतिक शक्ति, खनन कारोबार, जमीन घोटालों और न्यायपालिका में हस्तक्षेप तक का संगम उनके करियर को एक ज्वलंत चर्चा का विषय बनाता है। जनता और न्यायपालिका की नजर में यह एक बड़ा परीक्षण है—क्या इन आरोपों का जवाब राजनीतिक दलों को देना होगा, या समय बीतने के साथ यह सब धुल जाएगा?
Reviewed by public news and views
on
सितंबर 03, 2025
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