कलेक्टर आशीष तिवारी की अध्यक्षता में राजनीतिक दलों की बैठक आयोजित – निर्वाचक नामावली के गहन पुनरीक्षण पर हुई चर्चा
कटनी (25 सितंबर) – लोकतंत्र की मजबूती और मतदाता जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर आशीष तिवारी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों की अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का मुख्य एजेंडा था – निर्वाचक नामावली का गहन पुनरीक्षण और मतदाताओं की सही व अद्यतन जानकारी सुनिश्चित करना।
बैठक में निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों को विस्तार से साझा किया गया और राजनीतिक दलों को बताया गया कि आगामी दिनों में निर्वाचक नामावली का गहन पुनरीक्षण किया जाएगा। इस प्रक्रिया में वर्ष 2003 की मतदाता सूची को 1 जनवरी 2025 की मतदाता सूची के आधार पर सत्यापित किया जाएगा।
निर्वाचक नामावली पुनरीक्षण का महत्व
भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां हर नागरिक को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार है। लेकिन इस अधिकार का सही उपयोग तभी संभव है, जब मतदाता सूची सटीक और अद्यतन हो।
कई बार देखा गया है कि मतदाता सूची में नाम दोहराए जाते हैं, कई मृत व्यक्तियों के नाम सूची में बने रहते हैं, वहीं नए पात्र मतदाता जुड़ नहीं पाते। ऐसे में निर्वाचन आयोग का यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है, ताकि पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
बीएलओ और बूथ लेवल एजेंट की भूमिका
बैठक में विस्तार से बताया गया कि पुनरीक्षण कार्य के लिए बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की सहायता हेतु राजनीतिक दलों द्वारा बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त किए जाएंगे।
इन एजेंट्स का काम होगा –
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मतदान केंद्र स्तर पर मतदाता सूची का सत्यापन करना।
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नए पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ने में सहयोग करना।
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दोहराव और गलतियों को चिन्हित कर उन्हें ठीक करना।
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बीएलओ के साथ मिलकर मतदाता सूची को अपडेट करना।
जिला निर्वाचन कार्यालय ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे शीघ्र ही अपने-अपने बूथ लेवल एजेंट की सूची उपलब्ध कराएं, ताकि बीएलओ को प्रशिक्षण दिया जा सके।
बैठक में मौजूद अधिकारी और जनप्रतिनिधि
इस महत्वपूर्ण बैठक में जिला प्रशासन और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद रहे। बैठक में अपर कलेक्टर नीलांबर मिश्रा, एसडीएम कटनी प्रमोद चतुर्वेदी, भारतीय जनता पार्टी से सौरव अग्रवाल, शहर कांग्रेस अध्यक्ष अमित शुक्ला और कांग्रेस (ग्रामीण) जिलाध्यक्ष सौरव सिंह शामिल हुए।
सभी ने निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण कार्य को लोकतंत्र की बुनियादी आवश्यकता बताते हुए इसमें सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई।
लोकतंत्र की नींव है सही मतदाता सूची
मतदाता सूची केवल कागज पर दर्ज नामों की सूची भर नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की सबसे मजबूत नींव है।
एक सही और अद्यतन मतदाता सूची –
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मतदाता को उसका अधिकार सुनिश्चित करती है।
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चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाती है।
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निष्पक्ष और विश्वसनीय परिणाम की गारंटी देती है।
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लोकतंत्र पर जनता का भरोसा बनाए रखती है।
इसलिए निर्वाचक नामावली का पुनरीक्षण केवल चुनाव आयोग या प्रशासन का काम नहीं है, बल्कि यह हर राजनीतिक दल और मतदाता की जिम्मेदारी है।
जनता की भागीदारी सबसे अहम
बैठक में जोर दिया गया कि पुनरीक्षण कार्य को सफल बनाने में आम जनता की भागीदारी बेहद जरूरी है।
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हर पात्र व्यक्ति को अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वाना चाहिए।
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अगर किसी का नाम दोहराया गया हो या गलत हो, तो उसे तुरंत सुधारना चाहिए।
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राजनीतिक दलों को भी चाहिए कि वे अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से इस प्रक्रिया में सक्रिय सहयोग करें।
डिजिटल युग और निर्वाचक नामावली
आज जब हर क्षेत्र में डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है, तब निर्वाचन आयोग ने भी मतदाता सूची को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने की पहल की है।
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अब मतदाता ऑनलाइन अपने नाम की जांच कर सकते हैं।
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गलत जानकारी को सुधारने के लिए आवेदन दे सकते हैं।
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नए नाम जोड़ने की प्रक्रिया भी काफी सरल बना दी गई है।
कटनी में आयोजित यह बैठक इस बात का स्पष्ट संकेत है कि प्रशासन अब पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ मतदाता सूची को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
निष्कर्ष
कटनी में आयोजित इस बैठक ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र की मजबूती सही और अद्यतन मतदाता सूची से ही संभव है। जिला निर्वाचन अधिकारी आशीष तिवारी की पहल और निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों पर हो रही चर्चा ने राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया में सक्रिय सहयोग देने का अवसर प्रदान किया है।
अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में किस तरह राजनीतिक दल और आम जनता मिलकर मतदाता सूची को सटीक बनाने में योगदान देते हैं।
लोकतंत्र का वास्तविक उत्सव तभी संभव है जब हर पात्र नागरिक को मतदान का अधिकार मिले और उसका नाम सही तरीके से मतदाता सूची में दर्ज हो।
✍️ Written & Edited By : ADIL AZIZ
(जनहित की बात, पत्रकारिता के साथ)
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