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कटनी में ई-रिक्शा से स्कूली छात्रों के परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध

 ✍️ लेखक एवं संपादक: ADIL AZIZ

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📆  25 जुलाई 2025
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स्कूली बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता, जिला दंडाधिकारी का सख्त आदेश

जिला दंडाधिकारी






कटनी, मध्यप्रदेश – बच्चों की सुरक्षा को लेकर अब जिला प्रशासन ने बड़ा और सख्त कदम उठाया है। अब जिले में ई-रिक्शा से स्कूली छात्रों के आने-जाने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह निर्णय कटनी जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया और इसके तुरंत बाद जिला दंडाधिकारी एवं कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के अंतर्गत जारी कर दिया।

यह आदेश न केवल समय की आवश्यकता थी, बल्कि बच्चों के भविष्य की सुरक्षा के लिए भी अनिवार्य बन गया था।


स्कूली परिवहन को लेकर क्यों लिया गया यह फैसला?

बीते कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने में ई-रिक्शा का व्यापक उपयोग किया जा रहा था। हालांकि, ये वाहन कम लागत और ईको-फ्रेंडली हैं, लेकिन सुरक्षा के मानकों पर पूरी तरह खरे नहीं उतरते।

  1. ई-रिक्शा में अक्सर बच्चों को क्षमता से अधिक बैठाया जाता है।

  2. कोई सुरक्षा बेल्ट, दरवाजे, या संरक्षित बॉडी फ्रेम नहीं होता।

  3. दुर्घटना की स्थिति में बच्चों को गंभीर चोटें आ सकती हैं।

  4. कई बार अप्रशिक्षित या नाबालिग चालक भी ई-रिक्शा चलाते देखे गए हैं।

इस तरह की अनियमितताओं और संभावित दुर्घटनाओं से बच्चों को बचाने के लिए यह आदेश अब समयबद्ध हो गया था।


जिला दंडाधिकारी का आदेश और कानूनी प्रावधान

कटनी कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई ई-रिक्शा चालक इस आदेश का उल्लंघन करते पाया गया, तो उसके विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 तथा अन्य सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कठोर कार्यवाही की जाएगी।

यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और पूरे जिले की राजस्व सीमाओं में मान्य होगा।


सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में बनी सहमति

शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया गया। चर्चा के दौरान यह सामने आया कि स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिहाज़ से ई-रिक्शा उपयुक्त साधन नहीं हैं।

बैठक में मौजूद सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस पर सहमति जताई कि ई-रिक्शा से बच्चों का परिवहन पूरी तरह प्रतिबंधित होना चाहिए। इसी के आधार पर कलेक्टर द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया।


समाचार पत्रों और सोशल मीडिया की चेतावनियाँ बनी आधार

इस निर्णय में समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर समय-समय पर प्रकाशित होने वाली खबरों और चेतावनियों को भी आधार बनाया गया।

इन माध्यमों के ज़रिए कई बार यह बात सामने आई कि किस प्रकार ई-रिक्शा की लापरवाही बच्चों के लिए खतरा बन रही है।

कभी रिक्शा पलटने की खबरें, तो कभी चालक की लापरवाही के चलते चोटिल हुए बच्चों की घटनाएं प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गई थीं।


अभिभावकों से अपील: सुरक्षित साधनों का करें चयन

कलेक्टर ने सभी अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए ऐसे साधनों का चयन करें जो सरकारी अनुमोदन, फिटनेस प्रमाणपत्र और सुरक्षा उपकरणों से युक्त हों।

उन्हें यह समझना जरूरी है कि थोड़ी-सी लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

यदि संभव हो, तो स्कूल वैन या बस सेवा का उपयोग किया जाए, जिसमें प्रशिक्षित चालक और उचित सुरक्षा मानक लागू हों।


स्कूल प्रबंधन को निर्देश: आदेश का कड़ाई से पालन करें

साथ ही, जिले के सभी शैक्षणिक संस्थानों को भी निर्देशित किया गया है कि वे इस आदेश की जानकारी अभिभावकों और छात्रों तक पहुंचाएं और सुनिश्चित करें कि कोई भी छात्र ई-रिक्शा से स्कूल न आए।

यदि किसी स्कूल द्वारा इस आदेश की अनदेखी की जाती है, तो प्रबंधन के विरुद्ध भी कार्रवाई की जा सकती है।


ई-रिक्शा चालक संघ की प्रतिक्रिया

कुछ ई-रिक्शा चालकों ने अपनी नाराज़गी भी जाहिर की है और प्रशासन से अनुरोध किया है कि उन्हें वैकल्पिक आजीविका के लिए प्रशिक्षण या अन्य साधन उपलब्ध कराए जाएं।

प्रशासन की ओर से यह संकेत भी दिया गया है कि जल्द ही ऐसे ई-रिक्शा चालकों के पुनर्वास की योजना पर काम शुरू किया जा सकता है, जिससे उनकी जीविका प्रभावित न हो।


क्या यह निर्णय प्रदेश के अन्य जिलों के लिए एक उदाहरण बनेगा?

भोपाल और जबलपुर के बाद अब कटनी में भी यह निर्णय लागू हो चुका है। यह देखकर लगता है कि अन्य जिलों में भी ई-रिक्शा से स्कूली परिवहन को लेकर प्रशासन सख्ती अपना सकता है।

बच्चों की सुरक्षा से बड़ा कोई मुद्दा नहीं और यदि यह फैसला जान बचा सकता है, तो निश्चित रूप से इसे पूरे प्रदेश में अपनाया जाना चाहिए।


 बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि

इस प्रतिबंध के जरिए प्रशासन ने स्पष्ट संकेत दिया है कि बच्चों की सुरक्षा किसी भी स्थिति में समझौते का विषय नहीं है।

अब जिम्मेदारी हम सब की है—अभिभावकों की, स्कूलों की और वाहन चालकों की—कि इस आदेश का पालन करें और बच्चों के लिए एक सुरक्षित परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करें।



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✍️ लेखक एवं संपादक: ADIL AZIZ
📌 नोट: कृपया इस आदेश की जानकारी समाज के हर वर्ग तक पहुँचाएँ ताकि एक भी बच्चा असुरक्षित परिवहन का शिकार न हो।

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