कटनी जिले में रिकॉर्ड बारिश: औसत वर्षा ने पुराने आंकड़े तोड़े
लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़
कटनी में झमाझम बारिश का रिकॉर्ड: 162.4% ज़्यादा औसत वर्षा ने दिलाई राहत
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कटनी, 23 जुलाई —
मध्यप्रदेश के कटनी जिले में इस बार मानसून ने अपना भरपूर असर दिखाया है। 1 जून से 23 जुलाई तक जिले में कुल 613.6 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है, जो पिछले साल की तुलना में 162.4% अधिक है। इस भारी वर्षा से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं, वहीं जलस्तर बढ़ने से पीने और सिंचाई के पानी की चिंता भी काफी हद तक दूर हो गई है।
पिछले साल की तुलना में भारी अंतर
अगर हम इसी अवधि की तुलना पिछले साल से करें तो 2024 में केवल 233.8 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई थी। इस साल की भारी बारिश ने जहां गर्मी और सूखे की चिंताओं को पीछे छोड़ दिया है, वहीं अब यह चर्चा का विषय बन चुकी है कि मौसम का यह बदलाव आगे कृषि और जनजीवन पर कैसा असर डालेगा।
तहसीलवार वर्षा का पूरा विवरण
भू-अभिलेख कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले की विभिन्न तहसीलों में इस प्रकार वर्षा दर्ज की गई है:
तहसील | वर्षा (मिमी में) |
---|---|
रीठी | 772.3 |
स्लीमनाबाद | 767 |
कटनी | 630.6 |
विजयराघवगढ़ | 605.1 |
बहोरीबंद | 573 |
ढीमरखेड़ा | 546.2 |
बड़वारा | 543 |
बरही | 469 |
किसानों के लिए वरदान साबित हो रही बारिश
जिले की इस अच्छी बारिश से सबसे अधिक राहत कृषि क्षेत्र को मिली है। कटनी एक प्रमुख कृषि आधारित क्षेत्र है, जहां धान, मक्का, सोयाबीन जैसी खरीफ फसलें प्रमुखता से बोई जाती हैं। इस साल की भरपूर बारिश ने बोवनी की गति को तेज किया है और किसान अब न सिर्फ समय पर बुवाई कर पा रहे हैं, बल्कि पानी की चिंता भी कम हो गई है।
किसान रामसिंह पटेल बताते हैं, "इस बार बारिश समय पर और पर्याप्त मात्रा में हुई है। खेतों में नमी है और धान की बुआई अच्छे से हो रही है। पिछले साल तो बारिश की मार झेलनी पड़ी थी।"
जलस्तर में सुधार: पेयजल संकट से राहत की उम्मीद
बारिश से तालाब, कुएं, और जलाशयों में जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह स्थिति आने वाले महीनों में पेयजल संकट से राहत का संकेत देती है। कई ग्रामीण इलाकों में जहां बीते वर्षों में टैंकर से पानी की आपूर्ति होती थी, वहां इस साल उम्मीद की जा रही है कि स्थानीय जल स्रोत ही पर्याप्त होंगे।
प्रशासन की निगरानी और तैयारी
भू-अभिलेख अधीक्षक अमृता गर्ग ने बताया कि वर्षा की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। जिले के सभी राजस्व अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी भी प्रकार की बाढ़, जलभराव या आपदा की स्थिति में तुरंत राहत कार्य शुरू किए जा सकें।
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि वर्षा की निगरानी डिजिटल माध्यमों से की जा रही है, और किसानों को मौसम की जानकारी समय-समय पर SMS और कृषि पोर्टल के ज़रिए भेजी जा रही है।
जनजीवन पर मिला-जुला असर
जहां एक ओर यह बारिश राहत लेकर आई है, वहीं दूसरी ओर निचले इलाकों में जलभराव की समस्या ने कुछ दिक्कतें भी बढ़ाई हैं। कई ग्रामीण मार्गों पर कीचड़ और पानी भराव के कारण लोगों को आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ा है।
कटनी शहर में भी कुछ क्षेत्रों में नालियों की सफाई नहीं होने के कारण जलजमाव की समस्या बनी हुई है। हालांकि नगरपालिका द्वारा सफाई और पानी निकासी के उपाय किए जा रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन की झलक?
एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह मौसम में अचानक हुआ बदलाव जलवायु परिवर्तन का संकेत है? मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में मॉनसून की अनिश्चितता बढ़ी है – कभी देर से बारिश, कभी अचानक भारी वर्षा, तो कभी लंबा सूखा।
इस प्रकार की असमानता कृषि और जल प्रबंधन दोनों के लिए चुनौती बनती जा रही है।
बारिश से राहत, पर सतर्कता जरूरी
कटनी जिले में इस बार की बारिश ने उम्मीदों से बढ़कर प्रदर्शन किया है। जहां खेतों में हरियाली है, वहीं पानी की व्यवस्था भी सुधरती दिख रही है। परंतु भविष्य की योजना और आपदा प्रबंधन की तैयारी बेहद जरूरी है ताकि अतिवृष्टि या अचानक आई आपदा से निपटा जा सके।
बारिश का यह दौर आने वाले दिनों में और क्या रंग लाएगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल तो कटनी वासियों ने इस बारिश का स्वागत हर्ष और राहत के साथ किया है।
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लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़
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