🌸 फूलों की खुशबू से महकेगा मध्यप्रदेश: देश में तीसरे स्थान पर, जल्द बनेगा सिरमौर
लेखक एवं संपादक: आदिल अज़ीज़
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कटनी, 21 जुलाई —
भारत की हरी-भरी भूमि में अब मध्यप्रदेश न सिर्फ अनाज उत्पादन में बल्कि फूलों की खेती में भी बड़ी पहचान बना रहा है। मध्यप्रदेश फूलों के उत्पादन में अब देश में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है और यह दिन दूर नहीं जब प्रदेश इस क्षेत्र में देश का सिरमौर बनेगा।
प्रदेश में फूलों के उत्पादन की यह सफलता न केवल किसानों के मेहनत का परिणाम है बल्कि सरकार की सक्रिय नीतियों और आधुनिक उद्यानिकी तकनीकों का भी योगदान है।
📊 आंकड़ों में मध्यप्रदेश की फूलों की उपलब्धि
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कुल फूलों की खेती का क्षेत्र: 42,978 हेक्टेयर
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फूलों का कुल उत्पादन (2024-25): 5,12,914 टन
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2021-22 की तुलना में उत्पादन में वृद्धि: 86,294 टन
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उद्यानिकी का कुल क्षेत्र: 27.71 लाख हेक्टेयर
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फूलों की औसत उत्पादकता: 15.01 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर
यह आंकड़े इस ओर संकेत करते हैं कि मध्यप्रदेश की मिट्टी, जलवायु और किसान की सोच अब पारंपरिक खेती से हटकर नकदी फसलों की ओर बढ़ रही है।
🌼 कैसे बदली फूलों की खेती ने किसानों की तक़दीर
फूलों की खेती अब सिर्फ सौंदर्य या पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह कृषकों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक व्यवसाय बन गई है।
भोपाल जिले की ग्राम पंचायत बरखेड़ा बोदर की लक्ष्मीबाई कुशवाह इसका उदाहरण हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़ गुलाब, जरबेरा और गेंदा के फूल उगाना शुरू किया। आज वे हर महीने तीन से चार लाख रुपये की आय कर रही हैं।
ऐसे कई उदाहरण प्रदेश में मिलते हैं, जहां छोटे किसान भी एक-दो एकड़ जमीन में फूल उगाकर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं।
🏵️ कौन-कौन से फूल हो रहे हैं प्रमुख उत्पादन में
फूल का नाम | खेती क्षेत्र (हेक्टेयर) |
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गेंदा | 24,214 |
गुलाब | 4,502 |
सेवन्ती | 1,709 |
ग्लेड्युलस | 1,058 |
रजनीगंधा | 263 |
अन्य फूल | 11,227 |
गेंदा का फूल सबसे अधिक उगाया जा रहा है और इसकी मांग शादी-विवाह, धार्मिक कार्यक्रमों से लेकर सजावट तक व्यापक रूप से है।
🌍 अंतरराष्ट्रीय मांग: जयपुर से लंदन तक
अब मध्यप्रदेश के फूलों की महक सिर्फ देश तक सीमित नहीं है। गुना जिले का गुलाब अब पेरिस और लंदन तक पहुँच चुका है। दिल्ली, मुंबई, जयपुर जैसे महानगरों के बाजार में एमपी के फूलों की मजबूत पकड़ बन चुकी है।
🚜 सरकार की पहल और योजनाएं
प्रदेश सरकार और केंद्र की सहायता से कई हाईटेक फ्लोरीकल्चर नर्सरी विकसित की जा रही हैं।
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ग्वालियर में 13 करोड़ की लागत से हाईटेक नर्सरी तैयार की जा रही है।
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किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, उन्नत बीज, सिंचाई सहायता और मार्केटिंग सपोर्ट भी प्रदान किया जा रहा है।
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2024-25 में उद्यानिकी फसलों का क्षेत्र 14,438 हेक्टेयर बढ़ा, जिसमें फूलों की खेती में 5,329 हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई।
🌾 फूलों की खेती: छोटे किसानों के लिए बड़ा अवसर
मध्यप्रदेश के छोटे किसान, जिनके पास 1-3 एकड़ भूमि है, वे कैश क्रॉप के रूप में फूलों की खेती को अपना रहे हैं।
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कम लागत, अधिक मुनाफा
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तेज़ी से तैयार होने वाली फसल
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बाजार में स्थायी मांग
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कम ज़मीन में भी उत्पादन संभव
💧 प्राकृतिक संसाधनों और शासन की ताकत
मध्यप्रदेश की जलवायु, उपजाऊ मिट्टी, और सिंचाई व्यवस्था फूलों की खेती के लिए आदर्श मानी जाती है।
इसके अलावा, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग किसानों को मार्केटिंग, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग में सहयोग देकर फूलों की गुणवत्ता को वैश्विक स्तर तक ले जाने का कार्य कर रहा है।
🔮 भविष्य की राह: सिरमौर बनने की तैयारी
प्रदेश में लगातार हो रही उन्नति, तकनीकी प्रयोग, अंतरराष्ट्रीय निर्यात और किसानों की जागरूकता इस ओर स्पष्ट संकेत दे रही है कि जल्द ही मध्यप्रदेश फूलों के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान हासिल कर सकता है।
“मिट्टी से महक तक का यह सफर, किसानों की मेहनत और शासन के सहयोग से नई ऊँचाइयों को छू रहा है।”
मध्यप्रदेश की यह उपलब्धि न केवल कृषि क्षेत्र की सफलता है, बल्कि यह संकेत है कि भारतीय किसान अब नवाचार और आधुनिक तकनीक को अपनाकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उतर चुके हैं। फूलों की खेती के माध्यम से कृषि को मुनाफे का व्यवसाय बनाने का सपना अब साकार हो रहा है।
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