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मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज में अनुशासनहीनता, 15 दिन में देना होगा जवाब


कलेक्टर की अनुशंसा पर संभागायुक्त का नोटिस, सरकारी अधिकारी पर गिरी गाज



written & edited by : ADIL AZIZ 

कटनी (19 फरवरी) - मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन के क्षेत्रीय प्रबंधक एल.एल. अहिरवार को संभागायुक्त अभय वर्मा ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस कटनी कलेक्टर दिलीप कुमार यादव द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही के प्रस्ताव के आधार पर जारी किया गया है। नोटिस में एल.एल. अहिरवार को 15 दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए गए हैं।

सीएम हेल्पलाइन मामलों की अनदेखी बनी कार्रवाई का कारण

कटनी कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने संभागायुक्त को भेजे प्रस्ताव में उल्लेख किया कि सीएम हेल्पलाइन के तहत प्राप्त शिकायतों का समाधान निर्धारित समय सीमा में किया जाना अनिवार्य है। हालांकि, जनवरी 2025 में प्राप्त शिकायतों में से 67 मामलों को एल.एल. अहिरवार ने अटेंड नहीं किया, जिससे वे उच्च स्तर पर लंबित हो गए। इसका प्रतिकूल प्रभाव जिले और विभाग की ग्रेडिंग पर पड़ा।

ग्रेडिंग में गिरावट और जिले को नुकसान

जिले को 10 अंकों के वेटेज में से केवल 9.88 अंक प्राप्त हुए, जिससे कटनी जिला पहले स्थान से पिछड़कर दूसरे स्थान पर आ गया। इससे पहले, दिसंबर 2024 में 0.54 अंकों के अंतर और नवंबर 2024 में 0.30 अंकों के अंतर के कारण जिला प्रथम स्थान नहीं प्राप्त कर सका।

शिकायतों की अनदेखी से किसानों को हुआ नुकसान

शिकायतों के समाधान में देरी के कारण जिले को 0.12 अंक का नुकसान हुआ। विशेष रूप से किसानों से जुड़ी भुगतान संबंधी शिकायतों को अनदेखा किया गया, जिससे संतुष्टि दर भी प्रभावित हुई। जिले को 60 प्रतिशत संतुष्टि वेटेज में भी नुकसान हुआ है, जिसके लिए सीधे तौर पर एल.एल. अहिरवार को जिम्मेदार माना गया है।

अनुशासनहीनता पर सख्त कदम

कटनी कलेक्टर द्वारा संभागायुक्त को भेजे गए प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया कि एल.एल. अहिरवार का आचरण कदाचरण की श्रेणी में आता है। यह मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम-10 के तहत दंडनीय अपराध है, जिसके तहत उन पर शास्ति अधिरोपित की जा सकती है।

इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट होता है कि सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए कड़ी निगरानी आवश्यक है। सीएम हेल्पलाइन जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं में लापरवाही का सीधा असर न केवल सरकारी रैंकिंग पर पड़ता है, बल्कि आम जनता और किसानों की समस्याओं का समाधान भी बाधित होता है। अब देखना होगा कि एल.एल. अहिरवार इस नोटिस के जवाब में क्या स्पष्टीकरण देते हैं और प्रशासनिक स्तर पर आगे क्या कार्रवाई होती है।

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